29.9.23


*आंखे जिस पल को तरसी थीं,*

    *वह दृश्य दिखाया योगी ने।*

*उस सदन बीच खुलकर हिन्दू*

     *उत्कर्ष दिखाया योगी ने।।*


*निज धर्म, कर्म पर गौरव है,*

     *ये सिखा दिया है योगी ने।*

*जो मोदी नहीं दिखा पाये,*

   *वो दिखा दिया है योगी ने।।*


*बेशर्म जनेऊ धारी थे,*

         *जो इफ़्तारो में जाते थे।*

*हाथों से तिलक मिटा करके जो,*

         *टोपी गोल लगाते थे।।*


*वोटों की भूख जिन्हें  मस्ज़िद*

     *दरगाहों तक ले जाती थी।*

*खुद को हिन्दू कहने में जिनकी*

       *रूह तलक शर्माती थी।।*


*उन ढोंगी धर्म कपूतों की*

     *छाती पर चढ़कर बोल दिया।*

*क्यों ईद मनाऊं? हिन्दू हूं,*

     *ऐलान अकड़कर बोल दिया।।*


*जड़ दिया तमाचा, और लिखी*

     *इक नयी कहानी योगी ने।*

*लो डूब मरो, बंटवा डाला,*

     *चुल्लू भर पानी योगी ने।।*


*संकेत दिखा है साफ़ साफ़*

   *अब इस महन्त की बातों में।*

*अब होना दर्द ज़रूरी है,*

 *आज़म खानों की आंतो में।।*


*पूरे प्रदेश में शान्ति अमन,*

       *गर होना बहुत जरुरी है।*

*तो फिर गुण्डों में योगी का,*

    *डर होना बहुत ज़रूरी है।।*


*चौबिस कैरट का बांका बीर*

       *दिलेर मिला है यू पी को।*

*लगता है जैसे पहला बब्बर*

        *शेर मिला है यू पी को।।*


*हिन्दू गौरव पर ग्रहण लगा जो,*

            *जल्दी हटने वाला है।*

*जेहादी कुनबा सदमे में अब*

         *शीश पटकने वाला है।।*


*वह राजनीति के नवयुग में*

       *बजरंगी का अवतारी है।*

*थोड़ा सा बाल ठाकरे है,*

   *थोड़ा सा अटल बिहारी है ।।*


*दीवाली फिर से चमकी है,*

      *होली फिर से मुस्काई है।*

*शिवरात्रि लगी महकी महकी,*

   *हर उत्सव में तरुणाई है ।।*


*हर हिन्दू को यह ध्यान रहे,*

   *यह स्वाभिमान की बेला है ।*

*हर हिन्दू मिलकर साथ खड़ा,*

   *योगी अब नहीं अकेला है ।।*


*आरम्भ हुआ है लो प्रचण्ड,*

    *हम दिव्य चमकते बिन्दु हैं।*

*खुलकर के आज सभी बोलो,*

   *हम हिन्दू हैं, हम हिन्दू हैं ।।*


*🚩ॐ जय श्री राम जी की ,🙏🙏🚩*


*जिसने भी यह कविता लिखी है बहुत ही सटीक लिखी है ।*

🇮🇳****🇮🇳

गर्व से कहो  , हम हिन्दू है

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इसका अधिकतम प्रचार किया जाना चाहिए

भारत माता की जय वंदे मातरम जय श्री राम

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~~~ अज्ञात ~~~

कोई तो

कोई तो हद होगी ना,

जिसे ना तू पार करे और ना मैं भी।

कोई तो चाहत होगी ना,

जिसे चाहे तू भी और मैं भी।

कोई तो दर्द होगा ना ,

जिसे सहता हो तू भी और मैं भी।

कोई तो खवाहिश होगी ना,

जिसे पूरा करना हसरत हो तेरी भी और मेरी भी।

जब मंजिले एक हैं दोनों कि 

तो कयुँ ना साथ चले तु भी और मैं भी।

તું ક્યાં સમજે છે

 *તું કયાં સમજે છે........*


તને તો બસ એ મારો ગુસ્સો જ દેખાય છે

પણ મારા એ ગુસ્સા પાછળના પ્રેમને

*તું ક્યાં સમજે છે*


વારંવાર તને call કે msg કરું તો તને એ હેરાનગતિ લાગે છે

પણ આની પાછળ રહેલી મારી ચિંતાને

*તું ક્યાં સમજે છે*


કોઈ વાત માટે તને રોક ટોક કરું તો એ તને બંધન લાગે છે

પણ એ રોક ટોક પાછળ નું કારણ

*તું ક્યાં સમજે છે*


એમ તો તુ કહે છે હું તને અને

તારી દરેક વાતોને સમજુ છું

પણ અફસોસ મારી એ દરેક વાત પાછળ છુપાયેલા અર્થને

*તું ક્યાં સમજે છે*