10.7.10

 तेरा मन चाहे वो कर 
फूल  कोई तोड़े तो तोड़ ने दे 
तेरी ये फूलदानी की कोई कदर नहीं  
तुजे कोई चाहे तो चाहने दे 
ये दुनिया में चाहनाराओ  की कोई गीनती नहीं  
तेरा मन छाहे वो कर 
दील तुज से कोई जोड़ ने आये तो जोड़ ने दे 
दील तोड़ने वाले की कोई गीनती नहीं 
तेरे साथे वफ़ा करे तो होने दे 
ये दुनिया में बेवफाई करने वाली की कोई गीनती नहीं 
तेरा मन चाहे वो कर 
तुजे कोई [यार करे तो कर ने दे 
नफरत करने वालों की कोई गीनती नहीं 
तेरी गरज है कीसी को तो गरज करने दे 
ये दुनिया में गरजवान वाले की कोई गीनती नहीं 
तेरा मन चाहे वो कर  
तुजे कोई सपना आये तो आने दे 
यनहा एहसास करने वाले की कोई कमी नहीं 
हे "..." तेरा मन चाहे वो कर 

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