16.4.10

दोस्त तेर शहर में ,

 दोस्त  तेर शहर में  , 

मील गया  जीस  नु  सहारा  दोस्त  तेर शहर में  , 
तुर्र  किवें  जांदा  वेचारा  दोस्त  तेरे  शहर  में  , 
अपने  दीलबर  दा  घर  बर्बाद  होया  वेख  के , 
तुर  गया  रो  रो  नाकारा  दोस्त  तेरे  शहर  मेंं , 
जिन्दगी   थोड़ी  सी   लेकीन  लुत्फ  चंगा  दे  गयी
ली  लीया  राज्ज   के  नज़ारा  दोस्त  तेरे  शहर में , 
मस्तीय  के  बीत  जावेगी  मेरी  ही  जिंदगी  , 
मील  गया  ऐसा  हुलारा  दोस्त  तेरे  शहर  में , 
सह्म्भ  के  जीस  नु  मैं  रखदा  सन  ओह  दिल  वी  लुट  लीया , 
तुर  गया  कर  के  किनारा  दोस्त  तेरे  शहर  में , 
सद्द  गया  जींदा  ही  तेरे  इश्क  दी  अग्नी  मैं , 
उड्ड  गया  बन्न  के  शरारा  दोस्त  तेरे  शहर  में , 
मौत  लेनी  वी  नहीं  सुखी  सिफारिश  तेरे   बीना , 
ज़हर  न  मिलिया  उधर  दोस्त  तेरे  शहर  में ,
जरा  संभाल  के  रखियो ,है  शीशे  वांग  दील  मेरा ,  
उडों  की  कारन  एह  आशिक  जड़ों  महबूब  हर  वारी
नज़र  दे  सहमने  आवे  मगर  पर्दा  गीरा  बैठे ,  
जरा  संभाल  के  रखियो ,है  शीशे  वांग  दील  मेरा 
एह  दील  के  टूट  जाना ,जे  तुस्सीं  हाथों  गीरा  बैठे ,  
मोहब्बत  वालीयां  ते  एह  ज़माना  रहम  नहीं  करदा , 
ज़माने  तों  हजारन  ज़ख़्म ,दील  वाले  करा  बैठे ,  
सुरीली  तान  इस  में ं ,कीस  तरन  होवे  भला  पैदा , 
तुस्सीं  एह  साज़  ही  अपना  ही  ली  के  बेसुरा  बैठे ,  
कड़े  हम दर्द  तुन  दिल  वालियां  दी  ही  नहीं  सकदी , 
खुदा  जाने ,अस्सीं  इतबार  किद्दां ,कर  तेरा  बैठे ,

अंजान कवी 

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