कोई तो हद होगी ना,
जिसे ना तू पार करे और ना मैं भी।
कोई तो चाहत होगी ना,
जिसे चाहे तू भी और मैं भी।
कोई तो दर्द होगा ना ,
जिसे सहता हो तू भी और मैं भी।
कोई तो खवाहिश होगी ना,
जिसे पूरा करना हसरत हो तेरी भी और मेरी भी।
जब मंजिले एक हैं दोनों कि
तो कयुँ ना साथ चले तु भी और मैं भी।
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