जगर पे चौत लगती है खलीश दील में उभ्राती है
सनम जुल्मो सीतम करके अगर जो मुस्कुराती है
आमीन जल गया अपना ही आशीयाना
तासीर उलटी हाय अपने जलाल की
बन सके तो बाग़ बना ना लेकिन आग मत जलाना
जल सके तो अमर दीप जलाना लेकिन दील मत जलाना
गमे दुनिया से अगर पी भी फुर्सत उठाने की
फुल का देखना तरकीब तेरे याद आने की
MUje jo pasand hai vo aap ko bhi pasand honga ye hi soch lekar ye blog banaya gaya hai aap sab loko ka sujava milta rahe ye hi choti si khawahish
19.12.10
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कहीं चांद
कहीं चाँद राहों में खो गया कहीं चाँदनी भी भटक गई मैं चराग़ वो भी बुझा हुआ मेरी रात कैसे चमक गई मिरी दास्ताँ का उरूज था तिरी नर्म पलकों की ...
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*आंखे जिस पल को तरसी थीं,* *वह दृश्य दिखाया योगी ने।* *उस सदन बीच खुलकर हिन्दू* *उत्कर्ष दिखाया योगी ने।।* *निज धर्म, कर्म पर गौरव ...
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ક્યારે હસવું ક્યારે રડવું એ બધુંયે ફિક્સ છે, જિંદગી તો કોઈ ભેજાએ લખી કોમિક્સ છે. બહુ વધુ ચાહતનો ડેટા રાખવામાં રિસ્ક છે, આપણામાં માત્ર એક જ હ...
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આજના ગુજરાત ના સ્થાપના દિવસ ની ખુબ ખુબ શુભેચ્છાઓ લાંબો ડગલો મુંછો વાંકડી શિરે પાઘડી રાતી બોલ બોલતો તોળી તોળી છેલ છબીલો ગુજરાતી તન છો...