वोह आज काटों के दरमियान न जिए ,
इसलीये हम प्यार कर बैठे ,
वोह अपने अखीयों से अन्स्सों न बहाए ,
इसलीये हम मुस्कराहट के नकाब बन बैठे ,
हमारी खुदगर्जी थी की उनकी हंसी बने ,
फीर भी आज हम उन अँजान आँखों बेजान बन बैठे ..
मेरे तकदीर का ठूटा आइना ही ठुम ,
जिसमें तुमने हमारी प्यार का पर्ची चीन लीया ,
पर वक़्त हमें चीन लीया ,
और आइना भी सवर्ण छोड़ दीया ,
आज थक शिकवा नहीं थी खुदा से ,
लगा ki जिन्दगी में सभ मुरधे पूरी हुई ,
जबह जनाज़ा उठा और उसने पलकों से अनसुन बहाए ,
लगा की मौत भी अधूरी हुई ..
आज बदनाम करना चाहता हूँ तुझे ,
इसलीये हम मुस्कराहट के नकाब बन बैठे ,
हमारी खुदगर्जी थी की उनकी हंसी बने ,
फीर भी आज हम उन अँजान आँखों बेजान बन बैठे ..
मेरे तकदीर का ठूटा आइना ही ठुम ,
जिसमें तुमने हमारी प्यार का पर्ची चीन लीया ,
पर वक़्त हमें चीन लीया ,
और आइना भी सवर्ण छोड़ दीया ,
आज थक शिकवा नहीं थी खुदा से ,
लगा ki जिन्दगी में सभ मुरधे पूरी हुई ,
जबह जनाज़ा उठा और उसने पलकों से अनसुन बहाए ,
लगा की मौत भी अधूरी हुई ..
आज बदनाम करना चाहता हूँ तुझे ,
प्यार का एख दाग तेरे दामन में ,
थाकी तुझे कोई अगर पूछे ,
थाकी तुझे कोई अगर पूछे ,
ताब कहना एख शायर की पहचान हूँ में