~ बताओ क़ीया लीखें हम फीर~
हम जीन को अपनी नज्मून का
उन्वान बनाया करते थे
लाफ्ज़ुं का बना कर ताज महल
कागज़ पर सजाया करते थे
वो हम को अकेला छुर गए
सब रीश्तों से मून मुर्र गए
अब रीशते सारे सूने हैं
वो प्यार कहाँ अब बाक़ी है
अब कीया लीखें हम कागज़ पैर
अब लीखने को कीया बाक़ी है
उन्वान बनाया करते थे
लाफ्ज़ुं का बना कर ताज महल
कागज़ पर सजाया करते थे
वो हम को अकेला छुर गए
सब रीश्तों से मून मुर्र गए
अब रीशते सारे सूने हैं
वो प्यार कहाँ अब बाक़ी है
अब कीया लीखें हम कागज़ पैर
अब लीखने को कीया बाक़ी है
~~~ अंजान कवी ~~~~
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