6.11.24

आजकी शायरी

करलो साजिश हमें भी तबाह करने की...

हमे भी जिद्द है अब किसीको अपना बनाने की...

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कहीं चांद

कहीं चाँद राहों में खो गया कहीं चाँदनी भी भटक गई  मैं चराग़ वो भी बुझा हुआ मेरी रात कैसे चमक गई  मिरी दास्ताँ का उरूज था तिरी नर्म पलकों की ...